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स्कूल बैग

स्कूल बैग

स्कूल बैग

आज भारत सरकार का निर्णय स्वागत योग्य है,जिसमें कक्षा के अनुसार 1.5 kg से 5.0 kg तक बच्चों के बैग का बजन होगा। आज से 50-60 बर्ष पहले हाथ में स्लेट(पट्टी) लेकर स्कूल जाया करते थे, उसमें से आज कई वैज्ञानिक, डॉक्टर, इंजीनियर बने और देश का नाम रोशन किया,कहने का मतलब है की पुस्तकों का बजन या ज्यादा कोर्स बच्चों को ज्ञानवान नहीं बनाता उनको अच्छा विदध्यार्थी बनाने के लिए समर्पित शिक्षक, समर्पित माता पिता और वातावरण होना जरूरी है, इसलिए हम सबको अपनी आने वाली पीढ़ी को देश का अच्छा नागरिक बनाना है तो सरकार और स्कूल/ कोचिंग इंस्टीट्यूट के भरोसे  बच्चों को छोडने से बहतर है, उनको पढ़ाई का वातावरण देना होगा । इसको एक आंदोलन बनाना चाहिए जिसमें हम घर,बाहर,मोहल्ले,कालोनी,स्कूल में बच्चों को पढ़ाई के लिए प्रेरित करें और शिक्षा आजीविका के साथ ज्ञान का स्त्रोत बने,इसके लिए अच्छा साहित्य पढ़ने के लिए उनको उपलब्ध/प्रेरित कराना चाहिए इसका समर्पित प्रयास होना चाहिए।  

  

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