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Aap Hee Hain “Padman”

मनोरंजन.के संदर्भ में बात करते ही इन दिनों दबे हुए स्वर में एक शोर सुनाई दे रहा है, और वह है – पैडमैन I प्रतिक्रियास्वरुप किसी ने इसे शर्मनाक कहा तो किसी ने इसे हास्यास्पद बताया ,अपमानजनक, पैसे श्रम व संसाधनों का अपव्यय , बेहुदगी और ना जाने क्या क्या नाम दिये । यह सब सुनकर मेरी जिज्ञासा बढ़ी और मैने अपनी पड़ताल यह जानने के लिये शुरू की कि समाज के हर वर्ग को शर्मसार करने वाला पैडमैम, आखिर है कौन।
जी हाँ अक्षय कुमार की आगामी फिल्म पैडमैन जो कि सत्य घटना पर आधारित एक ऐसे प्रेरनादायक चरित्र अरुनाचलम मुरुगनंथम की कहानी है जिसकी उसके आसपास की महिलाओं विशेषकर पत्नी को महावारी के दौरान हो रही असुविधा को दूर करने की छटपटाहट को पद्मश्री व २ाष्ट्रीय व अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर सम्मीनत किया गया।
अपनी महावारी के दिनों में गरीबी के चलते सेनेटरी नेप्किन का उपयोगना कर पाने तथा उसके स्थानापन्न के लिये बेहद गंदे कपड़ों व अखबारों को उपयोग में लाकर अकथनीय पीड़ा व असुविधा का सामना करने की शांति की विवशता उसके पति की सहनशक्ति की परीक्षा ले रही थी । अब यही असहनशीलता उसके सफल संघर्ष का आधारव ताकत बनी और अंतत: उसने गरीब से गरीब महिला तक सेनेटरी नेपकिन कम से कम कीमत में पहुँचा कर ही दम लिया। आज २७ राज्यों में १३००० मशीनें स्थापित की जा चुकी हैं। जहाँ ६ रु. में ६ सेनेटरी नेप्किन्स की दर से नेप्किन्स उपलब्ध हैं।
अब प्रश्न यह उठता है कि क्या उपरोक्त उपलब्धियाँ ही सुपर-हीरो अरुणांचलम मुरुगनंथम उर्फ पैडमैन का लक्ष्य थीं या रही होंगी? मुझे लगता है; उसका लक्ष्य सिर्फ और सिर्फ उसकी पत्नी शांती को असुविधा पीड़ा से मुक्ति दिलाना ही होगा।
आज इंटरनेट एवं शिक्षा व्यवस्था में सेक्स – जूकेशन के प्रसार ने जनसंख्या के एक बड़े हिस्से तक महावारी संबंधि सूचनाएँ पहुँचाई है। जैसे-महावारी क्या है?, क्यों है? , महावारी के दौरान होने वाली समस्याएँ; ध्यान रखने योग्य बातें, पूर्वाग्रह आदि।
लेकिन क्या ये सूचनाएं जागरूकता का रूप धारण कर पाईं? यह कैसे संभव है?
पह संभव हैं हमारे दैनिक आचरण में संवेदनशीलता का समावेश करके। जी हाँ यही वह कारक था जिसने साधारण व गरीब पति को एक सुपर हीरो का दर्जा दिया। आज हम अपने-अपने स्तर पर संवेदनशीलता का प्रदर्शन करें तो हम सब अपने आसपास की स्त्रीयों का जीवन सुखमय बना सकते हैं।
औरत होने के नाते में इस विषय से चिरपरिचित हूँ परन्तु फि२ भी पैडमैन के चरित्र ने मुझे इस विषय पर अलग ढ़ंग से सोचने के लिये प्रेरित ही नहीं वरन विवश भी किया है। सभी पाठकों से मेरा निवेदन है कि अपने दृष्टिकोंण में विषयानुकूल परिवर्तन लाकर इस सुप२ हीरो की शक्ति के प्रसार में अपना अमूल्य योगदान अवश्य देवें।

शिक्षा (सोनाली काशिव)

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