Magazine

Bhartiy-Jeevan Shaili 2

दोस्तों आप लोगों ने मेरा द्वारा जीवन के ऊपर दी गई टिप्पणी मेरे पहले लेख में https://momababyetc.com/2017/12/19/bhartiy-jeevan/ पढ़ी और कुछ प्रश्न भी उठाए,धन्यवाद मेरा उद्देश्य भी यही था की हम सब अपनी जीवन शैली पर ध्यान दें।

आप सब ने फोन और फेसबुक पर जो प्रश्न उठाए उनके जो जवाब मेरे से संभव हुए बताता हूँ-

सबसे अहम प्रश्न है बच्चों की दिनचर्या को लेकर, दोस्तों आज हम प्रतियोगिता के युग में जी रहे हैं, जहां सभी अपनी आने वाली पीढ़ी को अच्छी शिक्षा और रोजगार के लिए पढाता है और उसके लिए वह सभी प्रयत्न करता है, जिसमें अच्छी शिक्षा के लिए अच्छा स्कूल, प्रतियोगिता परीक्षा के लिए अच्छी कोचिंग क्लास आदि। इस प्रतियोगिता में वह देखता है कि उसके बच्चे का बचपना खोता जा रहा है, परंतु उसके पास इसका कोई विकल्प नहीं है। वह खुद कि महत्वाकांक्षा, बच्चों कि उन्नति के सपने के आगे अपने को मज़बूर पाता है, और इस अंधी दौड़ में जानबूझ कर अपनी और अपने बच्चों के जीवन कि आहुती दे रहा है। सभी बच्चे चाहते हैं कि उन्हे इस प्रकार की शिक्षा मिले जिससे वे अपनी ज़िंदगी शान के साथ जी सकें उसके लिए चाहे कितनी भी मेहनत करनी पड़े, जो किसी हद्द तक सही भी है, परंतु वह  सरकार की दोष पूर्ण शिक्षा व्यवस्था और रोजगार की कमी के कारण संभव नहीं हो आ रहा है,खैर विषय पर आते हैं की इस आपा-धापी की अंधी दौड़ में जीवन शैली को थोड़े से प्रयास से हम सुधारने की कोशिश कर सकते हैं, इसके लिए कुछ सुझाव-

1॰ बच्चों के टिफ़िन में पौष्टिक आहार रखने की कोशिश करें, जो उनको रुचिकर भी हो और प्रोटीन कार्बोहाइड्रेड आदि से भरपूर जैसे उन्हे पोहा देना हो तो उसमें अंकुरित अनाज मिला कर दें, सेंडविच में आलू के साथ गाजर ककड़ी,जैम केचप की जगह घर पर बनी चटनी,लौंजी जो टमाटर,सेवफाल ,अंगूर आदि से बनी हो मिलाएँ। दूध, मठठा,दही,शिकंजी,मौसमी फल अवश्य दें । बच्चों की रुचि को पहचानें और उसे पौष्टिक बनाने की कोशिश करें।

2॰ बच्चों के स्कूल और कोचिंग के बीच के अंतराल के अनुसार उनको खानपान दें, यदि समय कम हो तो तरल पदार्थ ज्यादा दें,ड्राइफ्रूट(संभव न हो तो मुंमफली चना फूटना ),बिस्किट,टॉफी उनके जेब में रख सकते हैं, जिससे समय मिलने पर खा सकें।

3॰ इसके साथ सबसे बड़ी समस्या है स्कूल और कोचिंग की पढ़ाई के बीच में तालमेल बैठाना, जिससे स्कूल का होम वर्क और कोचिंग की पढ़ाई दोनों के लिए बच्चों को समय मिले जो थोड़ा कठिन है, परंतु यदि स्कूल और कोचिंग का चयन अपनी सुविधा के अनुसार करेंगे तो आसान होगा, बच्चा यदि अच्छे स्कूल में पढ़ रहा है तो कम समय या विषय की कोचिंग का चयन करें,साथ में उसे प्रतियोगिता परीक्षा के ज्ञान के लिए कोई कोचिंग में परीक्षा के पहले अभ्यास के लिए भेजें। यदि स्कूल में पढ़ाई का स्तर कम है तो ज्यादा समय वाली कोचिंग चुने और स्कूल पर कम ध्यान देकर कोचिंग पर ज्यादा ध्यान दें, आदि

4॰स्कूल में होने वाली छुट्टियों में बच्चों को अपने पेंडिग कम जैसे होम वर्क,प्रोजेक्ट,आदि को पूर्णकरना चाहिए ।

  1. अच्छी नींद के लिए स्वयं अपनी सुविधा के अनुसार समय बनाना होगा जिसमें वह समय कोचिंग और स्कूल के बीच के अंतराल का हो, सुबह देर तक सोने या जल्दी सोकर सुबह जल्दी उठने, समय अनुसार निश्चित करें।

6.व्यायाम के लिए बाहर जाने का समय न होतो घर में ही जैसे दीवाल के सहारे बॉल से खेलना,रस्सी कूदना,योगा,प्राणायाम करने के साथ साथ ध्यान के लिए भी समय निकालना चाहिए।

सुधिजन के सुझावों का  स्वागत है ।

                                                                राकेश चौबे,9425367269

Share post: facebook twitter pinterest whatsapp