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Shishu Ke Dekhabhaal Ke Lie Apanaaye Praakrtik Tareeke..

शिशु की देखभाल के लिए अपनाये प्राकृतिक तरीके….

बाजार में बेबीकेयर की सैकड़ों वस्तुएं उपलब्ध हैं लेकिन शिशु की सेहत के लिए जरूरी है कि जहां तक हो सके हम प्राकृतिक तरीके से ही उसकी देखभाल करें | इसमें कोई शक नहीं है कि बच्चों की देखभाल करना किसी चुनौती से कम नहीं है और अभी बने नए माता-पिता इस बात से बिल्कुल अनजान होते हैं और बाजार में मिलने वाले बेबीकेयर वस्तुओं की तरफ आकर्षित हो जाते हैं परंतु यह बच्चों के स्वास्थ्य के लिए ठीक नहीं है | इन सब चीजों की जगह प्राकृतिक तरीके सबसे बेहतर है | इससे बच्चों के स्वास्थ्य की ठीक तरीके से देखभाल की जा सकती है |
पुराने समय में शिशु होने के बाद कुछ दिनों तक घर के बड़े-बुजुर्ग इस बात का खास ख्याल रखते थे कि मां और बच्चे को किसी तरह का कोई संक्रमण ना हो इसके लिए मां बच्चे को एक अलग कमरे में रखा जाता था जहां किसी को आने जाने , बच्चे को छूने की की सख्त मनाही होती थी | यदि परिवार का कोइ सदस्य अंदर जाता भी था तो हाथ पैर धोकर, अपने चप्पल जूते कमरे के बाहर ही उतारकर जाता था | यह सारी सावधानी मां और बच्चे को किसी भी संक्रमण से बचाती थी परंतु आजकल इन पारंपरिक नियमो का पालन नहीं किया जाता |
कुछ और भी पारंपरिक (प्राकृतिक ) उपाय हैं जिनका उपयोग आजकल ना के बराबर होता है परंतु यदि इस तरह से हम शिशु की प्राकृतिक तरीके से देखभाल कर सके तो यह सबसे अधिक लाभदायक हैं |

लंगोट :

आजकल डायपर का उपयोग करना बहुत आम बात है परंतु शिशु के निजी अंगों में डायपर की वजह से हवा नहीं पहुंचती और रैशेज और संक्रमण का खतरा बना रहता है |
सूती कपड़ों से बने लंगोट से हवा आसानी से पार होती है और उन्हें फिर से धोकर इस्तेमाल कर सकते हैं |

प्राकृतिक आहार :

5 से 6 माह के होने के बाद शिशु को स्तनपान के साथ ऊपरी आहार की भी आवश्यकता होती है | ऐसे वक्त में बच्चों को सूजी की खीर, साबूदाने की खीर, दाल का पानी, ताजी सब्जियां मैश करके या फलों को दूध में मैश करके देने से उन्हें भरपूर पोषण मिलता है |

मालिश :

शिशु की हड्डियों को मजबूत बनाने के लिए मालिश जरूरी है | इससे अंगों की गतिविधि बढ़ती है और साथ ही होने वाली थकान भी दूर होती है | बाजार में मिलने वाले तेल के बजाय घर में ही सरसों के तेल में लहसुन डालकर उसे गर्म करके शिशु की मालिश करना चाहिए | यदि अधिक गर्म मौसम हो तो शुद्ध नारियल तेल की मालिश करनी चाहिए |

काजल :

अधिकतर डॉक्टर बच्चों को काजल लगाने से मना करते हैं परंतु इसीलिए मना करते हैं क्योंकि कृत्रिम काजल से आंखों के संक्रमण का खतरा बना रहता है | कृत्रिम काजल की जगह घर में ही घी का दिया जला कर प्राकृतिक काजल बनाया जा सकता है |

टीथर की जगह गाजर :

बाजार में कई तरह के टीथर मिलते हैं जो बच्चों को दांत आने के समय देते हैं लेकिन रबड़ से निर्मित या टीथर नुकसानदायक हो सकते हैं | कहीं भी रख देने से इस में कीटाणु जमा हो जाते हैं | इसके स्थान पर गाजर के टुकड़े बच्चों के हाथ में पकड़ाए |

बॉडी लोशन की जगह देसी घी :

बाजार में मिलने वाले बॉडी लोशन के बजाए देसी घी का उपयोग करें | घी को बच्चों के नाभि में डालने से भी कई रोग दूर होते हैं |

फलों का रस :

बाजार में मिलने वाले पैक्ड जूस की जगह घर में ही ताजे फलों का जूस बनाकर बच्चों को दें |

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